जिंदा हैं क्यों हम ...?

जिंदा हैं क्यों हम ...?

जिंदा हैं क्यों हम , अब आँखे है क्यों नम ।
हसने ने फुरसत नहीं दी तो अब क्यों है गम ।।

दूसरे तो पराये है ही
अपने भी नहीं कम
भाईबहन का रिश्ता भी
अब  हो गया है गुम ।।

जिंदा है क्यों हम , अब क्यों आँखे है नम ।। 

दुःशासन के दरबार मैं 
द्रौपदी संग कान्हा था
अब पहचान छुपानेवाले
थोड़ी ना हो गए है कम।

जिंदा है क्यों हम, अब क्यो आँखे है नम ।

अपनों ने ही रिश्तों की
देखो मिट्टी बना डाली
बोलो अब क्या आप
उठाओगे मेरी डोली ...?

भरोसे की भीख मांग रहै है
अब तो भिक डालो
पोंछो ये आँखे जो
सदियोंसे है नम ..

जिंदा है क्यो हम ...अब क्यो आँखे है नम।।

उड़ती पतंग की डोर 
काटके मुस्कुराते जो तुम
मुर्ज़ाई कली पे भी
पैर रखके चलते हो तुम।

जिंदा है क्यो हम . . अब क्यो आँखे ही नम।।

- आरू

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

रिमझिम रिमझिम धारा ..

आई....